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30- 05 - 22धारावाहिक मकाफात - ए - अमल episode 8



आज  तबरेज  खुश  था  बहुत  उसके घर  का माहौल भी  बहुत  अच्छा था  चारो  तरफ  हसीं ठहाके लग  रहे  थे । तबरेज  नहा  धोकर  कमरे  से बाहर  आता तो देखता  ज़की अब भी  अपनी बहनों को तंग कर रहा था।


ऐमन  तबरेज  के पास  आती  और कहती  " भाई  बचाये इससे देखे  हमें कितना परेशान  कर  रहा  है  ये बन्दर  "

"अच्छा भाईजान  का सहारा  लोगी मुझसे  बचने  के लिए , अभी  बताता  हूँ बन्दर कहती  हो अभी  तुम बंदरियो  को सबक सिखाता  हूँ " ज़की  ने कहा

"ज़की  बस  अब बहुत  हसीं मज़ाक  हो गया  अब तुम सब  बच्चे  नही हो जो तुम्हे मारा जाए चुप  चाप बैठ  जाओ और खाना लगाने  में अपनी भाभी की मदद  करो " तबरेज  ने कहा

"क्या भाई  आप  भी  उन्ही का साथ  दे रहे  है ?" ज़की  ने मुँह बना  कर  कहा

"सही  तो कह  रहा  है  तुम्हारा भाई  कब से उन दोनों को तंग  कर  रहा  है  पहले  उनकी आइसक्रीम खा गया  और अब उनके पीछे  दौड़ रहा  है  पागलो की तरह  " पास बैठी  आमना  ने कहा


"क्या, तूने  इन दोनों की आइसक्रीम खा ली "तबरेज  ने पूछा

"जी भाई  थोड़ी  सी मुझे  बन्दर  कह  कर  चिड़ा  रही  थी  इसलिए  मेने बन्दर  की तरह  इनके हाथ  से छीन  कर  खा  ली " ज़की  ने कहा

"तुम लोग मत  सुधरना  कभी , इतने बढ़े  हो गए  हो और अब भी  एक दूसरे  की चीज़े  छीन  कर  खाने  में अपनी शान  समझते  हो " तबरेज ने कहा


"भाई  जान ऐसे ही तो मज़ा  आता  चीज़े  खाने  का, जब  तक  बहन  भाइयो  से छीन  कर  मत  खाओ " ऐमन  ने कहा

"जैसा तुम लोगो को ठीक  लगे  अब मैं क्या कहु  " तबरेज  ने कहा

"अम्मी खाना लग  गया  है  आप  सब  हाथ  धोकर  आ  जाइये " फरिया  ने रसोई  से आकर  कहा

"ठीक  है  बेटा हम  लोग आते है " आमना  ने कहा

"ज़की  जा जाकर पानी का जग  दस्तर ख्वान पर रख  और अपनी भाभी  की थोड़ी  मदद  करा  " आरिफ  ने कहा जकी से।


"जी भाई अभी जाता हूँ " जकी  ने कहा और खाना  लगवाने में मदद  करने  लगा ।

उसके बाद सब  लोग खाना  खाने  बैठ  गए।


वही  दूसरी तरफ  ज़ोया अपने कमरे  में बैठी  मोबाइल चला  रही  थी। और हम्माद से चैटिंग  कर  रही  थी ।


तभी  अचानक  आरज़ू  उसके कमरे  में आयी  जिसे देख  ज़ोया घबरा  गयी  और बोली " अ,,,, अ,,, आपी तुम दरवाज़ा  तो खटखटा दिया होता "


"क्यू तू  किया कर  रही  थी  ऐसा जो मुझे  दरवाज़ा  खटखटा  कर  आना  चाहिए  था , वैसे तू  किससे बाते कर  रही  है, इतनी देर से कमरा  बंद  करके  " आरज़ू ने पूछा 


"क,,,, क,, किसी से भी  नही, मैं तो बस  ऐसे ही मोबाइल चला  रही  थी  " ज़ोया ने मोबाइल छिपाते  हुए  कहा

"देख  ज़ोया कुछ  उल्टा सीधा  काम मत  करना जिससे हम  सब  की नाक कट  जाए, तू  ज़रूर  किसी से बात कर रही थी और मुझे देख कर छुपा रही है, देख ज़ोया मैं तेरी बड़ी बहन हूँ और तुझे समझा सकती हूँ।

तू बस ध्यान से अपनी पढ़ाई मुकम्मल कर ले, अभी इस प्यार व्यार से दूर रहना ये सब चककर जिंदगी बर्बाद कर देते है।

इसलिए पहले कुछ बन जाओ ध्यान से पढ़ाई कर अच्छे नंबर से ग्रेजुएशन कर उसके बाद अगर तुझे शादी करना है तो शादी कर वरना आगे भी पढ़ सकती है। एक बार शादी हो गयी घर ग्रहस्ती में पड़ गयी तो सब पीछे छूट जाएगा ये घर भी और पढ़ाई भी। फिर वही चूल्हा चोखा करती रहना जिंदगी भर चाहे मोहब्बत की शादी हो या माँ बाप की मर्ज़ी से दोनों सूरतो में घर औरत को ही संभालना पड़ेगा, चूल्हा चोखा भी तुम्हे ही करना पड़ेगा। तो इसलिए अभी तू छोटी है अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे ना की उससे जान छुड़ाने के तरीके ढूंढ।


जो लड़का या लड़की पढ़ाई की अहमियत नही समझती वो जिंदगी भर पछताती रहती और रहता है और सोचता काश हम भी मन लगा कर पड़े होते तो आज हम भी कुछ बन गए होते, सोसाइटी में हमें भी कोइ पढ़े लिखें लोगो की महफ़िलो में बुलाता।" आरज़ू ने कहा



"अरे आपी बेवजह परेशान मत हो, और इतना लम्बा लेक्चर मत दो अब तुम जा रही हो अपने ससुराल तो जाते जाते तो बक्श दो मुझे, पढ़ाई ही कर रही थी। वो तो बस ऐसे ही मोबाइल हाथ में आ गया तो देखा कॉलेज के ग्रुप 1 में किसी ने मैसेज  छोड़ा था  तो देख  लिया।" जोया ने कहा


"झूठी  मुझे  पट्टीया पड़ा  रही  है , चल  दिखा  कहा है  मैसेज" आरज़ू  ने कहा



जोया डरते  हुए  " क,,,, क,,, क्या मैसेज  दिखाऊ  "


"हाँ, और किया दिखा  मैसेज  जो कॉलेज  से आया  था " आरज़ू  ने कहा

ज़ोया अपने दिल में कहती  है  " अरे कहा  फस  गयी  आज , लगता  है  आज  तो आपी  मोबाइल देख  कर  रहेगी "

ज़ोया डरते  डरते  अपना मोबाइल आगे  बढ़ाती  है  लेकिन तभी  बाहर  से आवाज़  आती  है  " आरज़ू  देखो  तस्लीम  आया  है  "

"क्या ये आ  गए  " आरज़ू  ने कहा

"अभी  तो जा रही  हूँ, लेकिन बाद को तेरा मोबाइल देखूंगी  " आरज़ू  ने कहा और चली  गयी 


"शुक्र है  बच   गई  आज , वरना  आज  ही मेरे प्यार का जनाज़ा निकल  जाता। अभी  इस फ़ोन को रख  दू  कही  कोइ और ना आ  जाए " जोया ने अपने आप  से कहा और बाहर चली  गयी ।


ज़ोया की अम्मी ने भी  खाना  लगा  दिया था  दस्तरखवान पर  और वो सब  लोग भी  खाना  खा रहे थे।


और थोड़ा बहुत  हसीं मज़ाक  कर  रहे  थे ।


तबरेज के घर  वाले खाना  खा  चुके  थे  और जकी  अपनी दोनों बहनों को घर  छोड़ने  चला  गया  था ।


"घर  कितना खाली  खाली  हो गया अम्मी " तबरेज ने आमना  से कहा

"हाँ, बहुत  ज्यादा ही खाली  खाली  हो गया  है , उन दोनों के जाने के बाद लेकिन कोइ बात नही जब  तेरी और ज़की की दुल्हन लाऊंगी तब  घर  दोबारा भर जाएगा " आमना  ने कहा


तबरेज़  थोड़ा  शरमाया  और उठ  कर  छत  पर चला  गया । और फिर  वहा  जाकर वो ज़ोया के खयालो  में खो  सा गया । उसे उम्मीद नही की वो उसे दोबारा कही  देख  पायेगा।


ज़ोया की बहन  भी  जा रही  थी । ज़ोया की आँखे  नम  थी । वो अपनी बहन  को विदा करके  अपने कमरे  में आ  गयी । ज़ोया थोड़ा  उदास थी  लेकिन तभी  उसके मोबाइल पर  हम्माद का मैसेज  आया ।

रात के 10 बज  चुके  थे । हम्माद ज़ोया को कॉल  करता  है । पहले  तो ज़ोया उदास थी  लेकिन बाद में सही  हो गयी  और काफी देर हम्माद के साथ  बाते करती  रही  और देखते  देखते  सो गयी ।


तबरेज़  भी  नीचे आकर  अपने बिस्तर पर  सोने चला  गया , उसे अभी  भी ,ज़ोया का ख्याल  आता  और वो उसी ख्याल  में खोये  हुए  सो जाता।


इसी तरह  अगली सुबह होती है  ज़ोया हम्माद के साथ  कॉलेज  जाती, तबरेज़  दुकान पर  जाता

आज  उसके मामू भी  आये  थे  दुकान पर  और साथ  में साद भी  आया  था।

उन दोनों ने बात चीत  हो रही  थी  तभी  हुसैन साहब  बोले " बेटा तबरेज़  आज  से ये साद तुम्हारे हवाले  इसको काम सिखाना  तुम्हारी ज़िम्मेदारी है  कॉलेज  के बाद सीधा  ये यही  आएगा  कौन सा इन दोनों ने पढ़  लिख  कर  कलेक्टर  बन  जाना है , इसलिए  अपने बाप की दुकान संभाल लेंगे तो दो वक़्त की रोटी इस मेहंगाई  में आसानी  से कमा  लेंगे। समी  को भी  कुछ  ना कुछ  करवा दूंगा  इन दोनों ने खुद  से तो कुछ  करना  नही है  दोनों ग्रेजुएशन  कर  रहे  है  और आता  जाता कुछ  नही इन दोनों से "


"ठीक  है  मामू सिखा  दूंगा , अभी  तो ये छोटे  है  धीरे  धीरे  सब सीख  जाएंगे  " तबरेज ने साद के सर  पर  हाथ  फेरते  हुए  कहा

"मैं अब चलूँगा , शाम  को आऊंगा  थोड़ा  थकान  सी हो रही  है  " हुसैन साहब  ने कहा

"ठीक  है  मामू आप  जाइये मैं यहाँ सब  संभाल  लूँगा  और अब तो साद भी  है  यहाँ, आप  जाकर आराम  करे  और दवाई लेकर सो जाए " तबरेज  ने कहा।


हुसैन साहब  वहा  से चले  गए ।

तबरेज ने साद को वहा  रखे  औजारों के बारे में समझाया  लेकिन वो मोबाइल में गेम खेलने  में व्यस्त था ।


ज़ोया भी  कॉलेज  की लाइब्रेरी में एग्जाम की तैयारी कर  रही  थी  ना चाहते  हुए  भी । कभी  अपना सर  किताब में मारती तो कभी  किताब को अपने सर  में मारती। कभी  कभी  बीच  बीच  में मोबाइल चलाने  लगती ।


उसकी सहेलियां उसे ऐसा करते  देख  दूर  खड़ी  हस्ती और कहती  " देखना  इसका डब्बा इस बार भी  गुल हो जाएगा मुझे  नही लगता  की ये B. A अंग्रेजी में कर  भी  लेगी "

"सही  कहा  तुमने, भगवान  ना करे  एक दिन ये बहुत  पछ्तायेगी  की इसे पढ़ने  लिखने  की छूट  मिली लेकिन इसने पढ़ाई  को एहमियत  नही दी, वरना  बहुत  सी लड़कियों का तो स्कूल  कॉलेज  जाने का ख्वाब, ख्वाब ही रह  जाता है ।" पास खड़ी  एक लड़की  ने कहा

"हाँ, एक दिन ये पछ्तायेगी  और वो लड़का  जिसके साथ  ये कॉलेज  आती  जाती है  मुझे  नही लगता  कि वो इससे प्यार करता  है , वो बस  इसको प्यार का झांसा  दे रहा  है  लेकिन ये बेवक़ूफ़  समझती  नही है । कभी  कभी  तो सोचती  हूँ इसके घर  बता आऊ लेकिन फिर  सोचती  हूँ बेवजह  नेकी गले  पड़  जाएगी। जैसा चल  रहा  है  चलने  दो। आज  कल  भलाई  का जमाना  नही है  उल्टा मैं उसकी दुश्मन  बन  जाउंगी " पास खड़ी  दूसरी  लड़की  ने कहा


चलो  चलते  है  कुछ  खा पीकर  आते  है । उसे यही  रहने  दो थोड़ा  किताबों में और थोड़ा  मोबाइल में।


ज़ोया मोबाइल में चैटिंग  कर  रही  थी  और मुस्कुरा रही  थी । लेकिन तभी  उसके पास  किसी का फ़ोन  आता  है  जिसे देख  वो घबरा  जाती है ।


आखिर  किसका फ़ोन आता  देख ज़ोया घबरा  गयी  जानने के लिए  पढ़ते  रहिये  हर  सोमवार को 


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6 Comments

Barsha🖤👑

03-Jun-2022 04:43 PM

Nice part

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Priyanka Rani

30-May-2022 04:24 PM

Nice part👌👌

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Seema Priyadarshini sahay

30-May-2022 03:38 PM

👌👌beautiful

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